दिसम्बर की गुलाबी शामों में जब गिरती है यादों की सुनहरी बर्फ़ दिसम्बर की गुलाबी शामों में जब गिरती है यादों की सुनहरी बर्फ़
सुन्दर सुखद एकांत सी स्थिति नहीं थी पूर्वत्र सुन्दर सुखद एकांत सी स्थिति नहीं थी पूर्वत्र
मैं …..तो बस अधूरा हूँ अपने आप में भी। मैं …..तो बस अधूरा हूँ अपने आप में भी।
बदलेगी क्या इस उम्र में मेरी चालढ़ाल ? उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल ! बदलेगी क्या इस उम्र में मेरी चालढ़ाल ? उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !
शिकवे और शिकायत तो हर रिश्ते में होती है। शिकवे और शिकायत तो हर रिश्ते में होती है।
अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं। अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं।